भारत के लिए एक चिंता का विषय यह है कि पिछले तीन महीने से निर्यात में गिरावट दर्ज हो रही है। जनवरी 2025 में निर्यात पिछले साल के मुकाबले 2.4% घटकर 36.4 बिलियन डॉलर रह गया, जबकि दिसंबर 2024 में भी 1% की गिरावट आई थी।
इस गिरावट का मुख्य कारण कच्चे तेल का निर्यात है, जो लगातार आठवें महीने घट रहा है। हालांकि, हैरानी की बात यह है कि ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें पिछले साल के मुकाबले कम होने के बावजूद तेल निर्यात में कमी आई है। पिछले साल ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 80.2 डॉलर प्रति बैरल थी, जो अब घटकर 79.2 डॉलर प्रति बैरल हो गई है।
हालांकि, कुछ अन्य उत्पादों का निर्यात बढ़ा है, जैसे रत्न और आभूषण का निर्यात 15.9% बढ़ा है और कोर एक्सपोर्ट्स का निर्यात भी 14.4% बढ़ा है। वहीं दूसरी ओर, जनवरी में आयात में 10.3% की बढ़ोतरी हुई और यह आंकड़ा 59.4 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया। दिसंबर में भी आयात में 4.9% की वृद्धि देखी गई थी।
सोने का आयात और बढ़ी कीमतें:
सोने का आयात 40.8% बढ़ा है, हालांकि यह वृद्धि दिसंबर के 55.4% से कम है। दुनिया में बढ़ती अनिश्चितता के कारण सोने की कीमतों में भी वृद्धि हुई है। जनवरी 2025 में सोने की कीमत 33.2% बढ़कर 2710 डॉलर प्रति औंस हो गई, जो पिछले साल 2034 डॉलर प्रति औंस थी। बढ़ती मांग और स्टॉक मार्केट में उतार-चढ़ाव के कारण लोग निवेश के लिए सोने को प्राथमिकता दे रहे हैं। यह न केवल भारत, बल्कि चीन और रूस में भी सोने के भंडार में बढ़ोतरी हो रही है।
भारत का व्यापार घाटा बढ़ा और रुपये में गिरावट:
जनवरी 2025 में भारत का व्यापार घाटा बढ़कर 23 बिलियन डॉलर हो गया, जो दिसंबर 2024 में 21.9 बिलियन डॉलर और पिछले साल जनवरी में 16.6 बिलियन डॉलर था। इस बढ़ते घाटे के कारण रुपये में भी कमजोरी देखी गई और जनवरी में रुपया 86.3 प्रति डॉलर तक गिर गया, जो पिछले महीने 85 रुपये प्रति डॉलर था। अप्रैल से जनवरी के बीच निर्यात 1.4% बढ़कर 358.9 बिलियन डॉलर तक पहुंचा, जबकि आयात में 7.4% की वृद्धि हुई और यह 601.9 बिलियन डॉलर हो गया।
सेवाओं का निर्यात:
हालांकि, सेवाओं का निर्यात अच्छा रहा। दिसंबर में सेवाओं के निर्यात में 16.5% की बढ़ोतरी हुई, जबकि सेवाओं के आयात में 13.8% की बढ़ोतरी रही, जो नवंबर में 26% थी। इससे सेवा व्यापार अधिशेष (Service Trade Surplus) में 19.1 बिलियन डॉलर का लाभ हुआ, जो पिछले साल की इसी अवधि में 16 बिलियन डॉलर था।
निर्यात में उतार-चढ़ाव:
इस साल निर्यात में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया है। शुरुआत में निर्यात अच्छा था, लेकिन बाद में गिरावट आई। अक्टूबर 2024 में थोड़ी बढ़ोतरी हुई, लेकिन जनवरी तक हर महीने निर्यात कम होता गया। क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में टैक्स बढ़ने की संभावना और चीन की धीमी अर्थव्यवस्था के कारण निर्यात पर असर पड़ सकता है। इसके परिणामस्वरूप भारत के व्यापार घाटे में वृद्धि हो रही है।
भारत की अर्थव्यवस्था पर असर:
यदि व्यापार घाटा और रुपया कमजोर होते रहे, तो इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, बढ़ता व्यापार घाटा और कमजोर रुपया विदेशी निवेशकों को भारत में निवेश करने से हतोत्साहित कर सकते हैं, जिससे बाजारों और जीडीपी पर दबाव बढ़ सकता है। इसके अलावा, रुपये की कमजोरी से आयातित वस्तुओं की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे महंगाई में इजाफा हो सकता है। व्यापार घाटे को पूरा करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल करना पड़ेगा, जिससे भंडार में कमी आ सकती है।
इस तरह, निर्यात में कमी और आयात में वृद्धि से भारत की आर्थिक वृद्धि पर दबाव पड़ सकता है, जिससे सरकार को आर्थिक नीतियों में बदलाव करने का दबाव बढ़ सकता है।