नई दिल्ली: भारत में पेंशन योजनाओं में निवेश की दिशा में तेजी से बदलाव देखा जा रहा है। निवेशक अब पारंपरिक बचत विकल्पों की बजाय पेंशन योजनाओं की ओर आकर्षित हो रहे हैं। एक ताजे अध्ययन के अनुसार, 2030 तक भारत में पेंशन प्रबंधन के तहत संपत्ति (AUM) 118 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। इसमें सबसे बड़ा योगदान राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) का रहने की उम्मीद है, जो करीब 25% तक हो सकता है।
पेंशन बाजार का विकास:
हालांकि भारत में पेंशन बाजार अभी पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है, लेकिन इसमें विकास की भारी संभावना है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत की जीडीपी का महज 3% हिस्सा पेंशन बाजार में है, जो भविष्य में तेजी से बढ़ सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर यह विकास इसी रफ्तार से जारी रहता है, तो सेवानिवृत्ति बचत 2050 तक 96 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है।
NPS की वृद्धि:
बीते पांच वर्षों में NPS के तहत निजी क्षेत्र का एयूएम 26.8% की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ा है। 2019 में जहां यह आंकड़ा 84,814 करोड़ रुपये था, वहीं अब यह 2024 में 2,78,102 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। भारत की बदलती जनसंख्या संरचना और बुजुर्गों की बढ़ती संख्या से भी पेंशन योजनाओं में निवेश की जरूरत और बढ़ सकती है।
पारंपरिक बचत से बाहर निकल रहे निवेशक:
भारतीय निवेशक अब पारंपरिक बचत विकल्पों की बजाय बाजार आधारित योजनाओं को प्राथमिकता दे रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दशक में नकद और बैंक जमा पर निर्भरता 62% से घटकर 44% हो गई है। इसका अर्थ यह है कि अब लोग बेहतर रिटर्न के लिए पेंशन योजनाओं जैसे विकल्पों में निवेश कर रहे हैं।
NPS में रिकॉर्ड बढ़ोतरी:
2020 से 2024 के बीच NPS में काफी वृद्धि हुई है। इस दौरान पुरुष ग्राहकों की संख्या 65% और महिला ग्राहकों की संख्या में 119% का इजाफा हुआ है। इसके साथ ही, 2024 में लॉन्च की गई NPS वत्सल्या योजना को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है। अब तक इसमें 86,000 से अधिक लोग जुड़ चुके हैं। रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले पांच वर्षों में NPS का एयूएम 9,12,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है, और इसमें 1.5 करोड़ से ज्यादा ग्राहक जुड़ सकते हैं।
NPS की लोकप्रियता के कारण:
- कर लाभ: सरकारी कर सुधारों और NPS निवेश पर टैक्स छूट की सुविधा के कारण इसे और भी आकर्षक बनाया गया है।
- NPS वात्सल्या: इस योजना में माता-पिता को मिलने वाले कर लाभ ने इसे और अधिक लोकप्रिय बना दिया है।
- सरकारी कर्मचारियों की प्रवृत्ति: सरकारी कर्मचारी अब निजी फंड मैनेजरों को अपनाने की ओर बढ़ रहे हैं।
- युवाओं में जागरूकता: 20-30 साल की उम्र के युवा भी अब NPS को अपना रहे हैं, जिससे इसकी स्वीकार्यता बढ़ी है।
- नई तकनीक का इस्तेमाल: पेंशन फंड की बेहतर प्रबंधन के लिए AI और आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो इसे और भी प्रभावी बना रहे हैं।
निष्कर्ष:
भारत में पेंशन योजनाओं में निवेश का रुझान तेजी से बढ़ रहा है, खासकर NPS के माध्यम से। इस बदलाव के साथ-साथ पेंशन बाजार का विस्तार हो रहा है, और आने वाले वर्षों में इसमें और भी वृद्धि की उम्मीद जताई जा रही है। यह विशेष रूप से उन निवेशकों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, जो अपने भविष्य को सुरक्षित और बेहतर बनाना चाहते हैं।